Tuesday, August 10, 2010

मेरा दोष ?

चन्दा मेरा यही दोष क्या 
मैंने तुझसे प्यार किया  ?
जाग जाग कर सारी रैना
 बस तेरा दीदार किया ?
नहीं प्रेम के कायल था मै
तो तू मुझसे कह देता ,
अपने निष्ठुर भाग्य चक्र का
यह दुःख भी मै सह लेता I
जब तुम ऐसे मौन रहे 
मैंने समझा इकरार किया I
चन्दा मेरा यही दोष क्या 
मैंने तुझसे प्यार किया  ? 
तेरा मेरा मिलन असंभव 
क्यूं तू मुझसे कहता है ?
माना मै धरती का प्राणी
नील गगन में तू रहता है I
दृढ प्रतिज्ञ जो बढ़ा पंथ  पर
लक्ष्य उसी ने प्राप्त किया II
चन्दा मेरा यही दोष क्या 
मैंने तुझसे प्यार किया  ?
नील गगन तुझको यदि प्यारा
धरती मेरी माता है,
तुझसे कहीं अधिक बढ़कर है
माता से जो नाता है I
गगन सितारे तुम मत त्यागो 
मैंने तुमको त्याग दिया II
चन्दा मेरा यही दोष था
मैंने तुझसे प्यार किया I
सच मुच मेरा यही दोष था 
मैंने तुमसे प्यार किया II
राज़ 

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1 comment:

  1. ufffff...
    jaab tum aise moun rahe,
    maine samjha ikraar kiya...
    kitni maasumiyat ,kitni sadgi.jawaab nahi aapka.

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