Thursday, April 8, 2010

"जब से वो चेहरा देखा है.......... "


पूरब देखा,पश्चिम देखा
उत्तर देखा,दक्षिण देखा
ये दुनिया फीकी लगती है l
जब से वो चेहरा देखा है..........

कुछ खुशियाँ हैं, कुछ गम भी हैं
कुछ बिछड़ गए, कुछ संग भी हैं
जाने किसने खींची
इन राहों में लक्ष्मण रेखा है l
जब से वो चेहरा देखा है............

एक बार पिया ,दो बार पिया
एक दौर चला ,फिर और चला
पैमाने से वो क्या बहके
जिसने मयखाना देखा है l
जब से वो चेहरा देखा है...........

कुछ दूर हटे, फिर पलट गए
वो रुके नहीं, फिर चले गए
वो एक नहीं हैं कितनो को
यूं मुड़कर जाते देखा है l
जब से वो चेहरा देखा है.......

कुछ धुंआ उठा, फिर शोर उठा
कुछ जोर उठा, हर ओर उठा
चिंगारी से वो क्या भड़के
जिसने घर जलते देखा है l
जब से वो चेहरा देखा है........

जब अलग हुए, वो तड़प उठे
एक दर्द उठा, वो सिसक उठे
उस रस्ते की पीड़ा पूंछो
जो हर दो पग पर बंटता है l
जब से वो चेहरा देखा है.......

राज कान्त "राज"
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