Thursday, April 8, 2010

"अब अलविदा ! "


कट गयी फांकों में भी आराम से
जब कहा दिल ने चलो कुछ कर दिखाएँ
हंस के हम से जिन्दगी ने कह दिया
अब अलविदा !

जिन्दगी की जंग थी
लड़ते रहे ,चलते गए
ठोकरें खाईं बहुत
गिरते रहे ,बढ़ते गए
जब कहा दिल ने चलो इन आँधियों को मोड़ दें
हंस के हम से जिन्दगी ने कह दिया
अब अलविदा !

दर्द जग के आख़िरी इंसान का
देखता सब कुछ रहा चुपचाप बस
सत्य को आदेश था विषपान का
धडकनें अवरुद्ध मैं सहमा विवश
जब कहा दिल ने चलो अब सत्य का उदघोष कर दो
हंस के हम से जिन्दगी ने कह दिया
अब अलविदा !

सोंचने में उम्र सारी कट गयी
या कभी साहस जुटा पाए नहीं
श्वाश की अनमोल पूंजी लुट गई
स्वप्न भी साकार हो पाए नहीं
जब लगा हमको हकीकत से हुए हैं रूबरू
हंस के हम से जिन्दगी ने कह दिया
अब अलविदा !

"राज" 

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