Thursday, April 8, 2010

"पर नहीं मै चल रहा हूँ! "


ये मेरा अंतिम सफ़र है
पर नहीं मै चल रहा हूँ!

बर्फ जैसी सर्द साँसें
हैं मेरी तो क्या हुआ
आग जो तुमने लगाईं थी
उसी में जल रहा हूँ!
ये मेरा अंतिम सफ़र है
पर नहीं मै चल रहा हूँ!

आख़िरी ख़त भी सुपुर्दे
ख़ाक मैंने कर दिया
हाँथ में कुछ लिख बचा था
मै उसे भी मल रहा हूँ!
ये मेरा अंतिम सफ़र है
पर नहीं मै चल रहा हूँ !
.
धूप दरिया और फिज़ाओं
से मुझे क्या वास्ता
एक मुट्ठी धूल दे दो
मै उसी में मिल रहूँ!
ये मेरा अंतिम सफ़र है
पर नहीं मै चल रहा हूँ!

दिल में रख पाने का मुझको
यार मेरे गम न कर
आँख का आंसू समझ
रुसवाइयों में  ढल रहा हूँ!
ये मेरा अंतिम सफ़र है
पर नहीं मै चल रहा हूँ!

जन्नतों की कब रही ख्वाहिश
बता साक़ी मुझे
मैं तो हाले में बरफ के
खंड जैसा गल रहा हूँ!
ये मेरा अंतिम सफ़र है
पर नहीं मै चल रहा हूँ!
पर नहीं मै चल रहा हूँ!
"राज "

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